जानिए अपनी नाकामियों के पीछे का राज़
क्या परमेश्वर ने संसार में विजेता लोगों की तुलना में हारे हुए लोग अधिक बनाए हैं? क्या परमेश्वर ऐसा कर के लोगों के बीच पक्षपात कर रहा है? ये दो पक्ष हो सकते हैं । लेकिन अगर आप तर्कवादी हैं तो आप मानोगे की भगवान ने न विजेता बनाए न हारने वाले लोग। भगवान ने सिर्फ लोग बनाए,वो भी शारीरिक रूप से। यहां पर लोगों से तात्पर्य सभी लोगों से है।
अब ये जिम्मेदारी लोगों की है कि वह अपनी बुद्धि का प्रयोग कैसे करते हैं, कितनी तीव्र बुद्धि वाले हैं, और अपने जीवन का स्तर कैसे निर्धारित करते हैं।
अब कुछ वैज्ञानिक तर्क देंगे कि बुद्धि का विषय तो आनुवंशिक अथवा जेनेटिक है। राजनेता समाजशास्त्र की भाषा में कहेंगे कि संप्रदाय या समाज विशेष के समृद्ध होने से उस समूह के लोगों की बुद्धि तीव्र है अन्य लोगों की नहीं, धर्मवेत्ता कहेंगे कि ईश्वर विजेता का निर्माता है, हारने वालों का निर्माण शैतान ने किया है। अधिकांश लोग शैतान मैं विश्वास नहीं करेंगे इसलिए यह कारण उन्हें तब तक आश्वस्त नहीं कर सकता जब तक शैतान को विषय विशेष के परिपेक्ष्य में न समझाया जाए।
यहां पर शैतान को सीमित बुद्धि वाला समझा जा सकता है जो कि परमेश्वर की असीम बुद्धिमता को न मानकर ‘सीमित ज्ञान’ को प्राथमिकता देगा। ज्ञान वृक्ष के आधार पर ईसाई संप्रदाय में अच्छे और बुरे ज्ञान का निर्माण हुआ। भेदभाव का निर्माण हुआ। विवेक शक्ति का निर्माण हुआ। मेरे अनुमान से बुद्धि मस्तिष्क, नियोकार्टेक्स, फ्रंटल लोब आदि का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसी बुद्धि के कुछ नुकसान भी हैं और फायदे भी। आज मैं उनके फायदों की बात करूंगा। उसके पीछे कई कारक हैं परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं हैं यहां तक उनका परिवेश भी उनकी सफलता में बाधक बन रहा है।
बुद्धिमता ही सर्वोपरि है
आप अपनी मानसिक क्षमता और मस्तिष्क का उपयोग कैसे करते हैं? इस बारे में आपके स्वयं का विश्लेषण स्पष्ट होना चाहिए। मेरी रुचि हमेशा से ही बुद्धि पर रही है। बुद्धि बहुत महत्वपूर्ण है, बुद्धि ही वो मानसिक शक्ति है जो तथ्यों को समझकर तर्क पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है।बुद्धि ही आपको विजेता बनाती है।
बुद्धि की कमी से आप हारा हुआ महसूस करते हैं, आपका दृष्टिकोण उन्नत नहीं हो पाता और ना ही आपके प्रयासों को सही दिशा में आप ले जा पाते हैं।
अब कुछ लोगों के मन में प्रश्न आएगा कि मैं तो बहुत बुद्धिमान हूं मेरी बुद्धि लब्धि का स्तर तो उच्च है फिर भी मैं असफल हूं।
मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं मैंने बहुत से लोगों को देखा है जो सफल नहीं हो पा रहे हैं, ये बात विश्वास करने योग्य नहीं है लेकिन यह भी सत्य है कि वो असफल हैं। ऐसा इसलिए है कि यहां बुद्धि का संचालन प्रभावित हो रहा है।
लेकिन सामान्यतया, बुद्धिमता को ही सफल हो पाने का सूचक माना जाता है,इस बारे में कोई संदेह नहीं है। बुद्धि के कारण ही मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है, बुद्धि के आधार पर ही मनुष्य अपने व्यवहार में यथोचित परिवर्तन कर पाता है।
दुःखद विषय है की ज्ञानार्जन संस्थाओं में बुद्धि विकसित करने के पाठ्यक्रम संचालित नहीं हैं, अमेरिका जैसे सशक्त देश में भी इस प्रकार के किसी विषय का संचालन नहीं होता। इससे यह बात स्पष्ट है कि बुद्धि कि उपेक्षा हुई है या उसके महत्व को समझने में चूक हुई है।
खैर, मेरे पास इसका समाधान है। इसलिए मैंने यह पीआई प्रोग्राम बनाया है, पीआई लाइट मुफ्त में उपलब्ध है। अब जब आप कोई प्रोग्राम फ्री में देते हैं तो लोग समझते हैं कि यह कीमती नहीं है। यह बहुत दुःख की बात है। यह पिल्लई सेंटर अकादमी साइट या फोनेमिक इंटेलिजेंस साइट पर उपलब्ध एक बेहद मूल्यवान कार्यक्रम है। तो इसका फायदा उठाएँ ।
विजेता बनें हारने वाला नहीं
विजेता बनना स्वयं आपके हाथ में है। ईश्वर सभी को विजयी देखना चाहता है। ईश्वर की अपेक्षा है कि हर व्यक्ति सफल हो अपने जीवन का विजेता बने, नायक बने,स्वयं अपना नेतृत्व करे, जयत्व की अनुभूति करे, बुद्धि की चरम सीमा को प्राप्त करे। ईश्वर सबका भला करे।
यही ईश्वर का आशीर्वाद है, यही परेश्वर की कामना है, यही बुद्धि का वरदान है।
अंतिम लक्ष्य और ईश्वर के मस्तिष्क का मार्ग
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स्वर्ग में असीमित प्रणालियाँ हैं; इसे गिना नहीं जा सकता है, और वे सभी एक बहुत ही अलग समय अवधि का पालन करते हैं। मूल रूप से, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कोई समय नहीं है। हम उसे हममें विकसित कर सकते हैं।
अपना ईश्वरीय मस्तिष्क कैसे विकसित करें?
Read Time: 3 Min बाइबिल में एक कहावत है, “ईश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया।” मैं उस कहावत में यह जोड़ना चाहूंगा कि भगवान ने मनुष्य मस्तिष्क को अपने मस्तिष्क के बाद बनाया। यह शाब्दिक रूप से सही है। शायद यह भौतिक मस्तिष्क न हो, बल्कि एक पारलौकिक मस्तिष्क हो, क्योंकि भगवान का कोई भौतिक रूप नहीं है। वह एक भौतिक रूप अधिग्रहण कर सकते हैं और सूक्ष्म रूप में या प्रकाश के रूप में रह सकते हैं। वह जो चाहे कर सकते हैं।
अपनी मनोकामना पूरी करने का आसान तरीका
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धन की देवी लक्ष्मी सदा मुस्कुराती रहती है। वह ऐसी किसी भी चीज को स्वीकार करने से इनकार कर देती है जिसमे खुशी नहीं है। वह हर चीज में सर्वश्रेष्ठ चाहती है। वह सर्वश्रेष्ठता का अवतार है।