ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हे सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा! पूरे ब्रह्मांड के रक्षक स्वयंभू, जो सभी दुखों से मुक्त हैं, जिनके संपर्क से आत्मा सभी संकटों से मुक्त हो जाती है, जो चराचर जगत में विद्यमान हैं, सभी का पालन पोषण कर ऊर्जा देने वाले, सबसे उत्कृष्ट, शुद्ध, पालनहार ईश्वर हमारी बुद्धि व मानसिक शक्तियों को सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें, हमें प्रकाश दिखा कर सत्य के पथ पर ले जाएं।
मंत्र जप के लाभ
– गायत्री मंत्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती। – जप से कई प्रकार के लाभ होते हैं, व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है। बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है। – गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह २४ अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं। – इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।