तर्पण द्वारा पूर्वजों को सुख शांति प्रदान करें - भाग २

तर्पणम की क्रिया से अपने पूर्वजों को सुख और शांति प्रदान करें
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लगभग एक साल पहले या १८ महीने पहले जब मैंने आपके पूर्वजों की सुख शांति के लिए आपको एक अनुष्ठान सिखाना शुरू किया था। इस अनुष्ठान में पानी के साथ तिल या चावल या चावल का आटा मिलाकर अपने पूर्वजों को अर्पण करना होता है।

यह बहुत सरल अनुष्ठान है। मुझे ऐसी अन्य कोई विधि नहीं पता जो इतनी सरल हो और इससे बेहतर काम करे। बहुत से लोग मेरे पास अपनी धन संबंधी, स्वास्थ्य संबंधी, वजन आदि संबंधी समस्याओं को लेकर आते हैं तो मैं उनको बताना चाहता हूं की ये समस्याएं आत्मा से संबंधित समस्याएं हैं।



“हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ शुभ संकल्प तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि सावन की पूर्णिमा से ही पितर मृत्यु लोक में आ जाते हैं और नवांकुरित कुशा की नोकों पर विराजमान हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार मुताबिक मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। श्रद्धा से कराया गया भोजन और पवित्रता से जल का तर्पण ही तृप्ति का आधार है। ज्यादातर लोग अपने घरों में ही तर्पण करते हैं।”       – पुराण कथन


अनुष्ठान करते समय काले तिल से मिले हुए जल से पितरों को तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि एक तिल का दान बत्तीस सेर स्वर्ण तिलों के बराबर है।

सोल जेनेटिक्स (आत्मा की उत्पत्ति) का विज्ञान

सभी मनुष्यों की आत्मा उनके पूर्वजों की आत्मा से ही आई है, मैं इसे ‘सोल जेनेटिक्स’ कहता हूं। जैसे आपको आपके आनुवंशिक और जैविक गुण विरासत में मिले हैं ठीक वैसे ही यह आत्मा भी आपको विरासत में मिली है। आपकी आत्मा के जीन भी आपको आपके पूर्वजों की देन है। अब आपको इस आत्मा को अपने स्तर से अपने अनुरूप बनाना होगा।

परिस्थितियों को सुधारने के परमात्मा का आह्वान आश्यक है

आपको शायद इस प्रकार की बातों को समझने में समय लगे, अपने दिमाग में बनी हुई चीजों को बदलने में शायद समय लगे, इन तथ्यों को मानने मैं शायद समय लगे, इन नई चीजों को स्वीकार करने में शायद समय लगे, पर आपके दिमाग को बदलने में आपकी असमर्थता को मैं समझता हूं। आपके कर्मों को बदलने में आपकी असमर्थता को मैं समझता हूं। आपकी आर्थिक स्थिति को बदलने में आपकी असमर्थता को मैं समझता हूं। आपकी अन्य सभी समस्याओं को में समझता हूं। मैं यह भी समझता हूं कि मौजूदा स्थिति के विपरीत आप हालातों को बदलने में असमर्थ हो रहे हैं। 

आप असमर्थ क्यों हैं ? ये सब क्यों हो रहा है ? मैं ये भी समझता हूं और जानता भी हूं। लेकिन इन परिस्थितियों को सुधारने के लिए आप क्या कर रहे हैं ? आपको इन स्थितियों से उबरने के लिए परमात्मा का आह्वान करना होगा।

“यीशु” कहते थे मेरे साथ मेरे पिता हैं, और मेरे पिता के साथ सब कुछ संभव है, मेरे पिता सब कुछ कर सकते हैं, वो भी बहुत अधिक शीघ्रता से क्योंकि वो समय से परे हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है जो उनके लिए करना असंभव है। हमको बस पूर्वजों की सहायता के लिए दिव्य शक्तियों को गतिमान करने की आवश्यकता है। और जो पर्वूज अब शरीर के बिना बेहतर स्थिति में हैं, वे आपकी बहुत मदद कर सकते हैं क्योंकि आप उनसे आत्मा से सबंधिंत हैं। जब आप जीवित थे, तब आपके साथ उनका बेहतर संबंध नहीं रहा होगा, या बहुत अच्छा संबंध रहा होगा लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस इसे नियमित रूप से हर दिन निष्ठा से करें। हमारे पास एक और विस्ततृ वीडियो है कि यह अनुष्ठान कैसे करें। आपको हमारे यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो मिल जायेगा।

क्या यह पूर्वज भूखे हैं? वे भूखे भी हैं। हालांकि वे एक आत्मा में बदल चुके हैं

बस इस दर्भा घास को छोटे, छह इंच के बिट्स में काट लें और उसे हाथ में लेकर उसमें एक सिक्का डाल दें-कोई भी सिक्का, इसके बाद तिल, चावल और थोड़ा पानी लें और फिर उन्हें अर्पित कर दें। अपने मन में सोच लें  ‘यह मेरी माता और मेरे पिता की ओर के पूर्वज के लिए और सभी देवताओं के लिए है।

आप खुद ही सोच सकते हैं कि यह एक बहुत ही सरल अनुष्ठान है  जिसमें लगभग एक मिनट या उससे कम समय लगता है। लेकिन वह बहुत कुछ करेगा, पांच या छह घंटे के ध्यान से भी ज़्यादा लाभ करेगा। 

तर्पणम से अपने पूर्वजों को सुख और शान्ति प्रदान कर उनका आशीर्वाद पाएं - भाग १

आप दिन में पांच घंटे बैठ कर ध्यान कर सकते हैं,  पर आपको वैसे परिणाम नहीं मिलेगा, जैसे आपको एक मिनट के तर्पण के अनुष्ठान में मिलता है। तर्पण का अर्थ है पूर्वजों के लिए भोजन अर्पित करना। 

आपके पूर्वज आपकी आत्मा का हिस्सा हैं

आपको कोई भी प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं है। आपको उन्हें  यह बताने  की जरूरत भी नहीं है कि आप क्या चाहते हैं। ये  वह सभी जानते हैं। वे आपके आत्मा का हिस्सा हैं। आप उन्हें उतना ही जी रहे हैं, जितना वे आपको जी रहे  हैं। वे  कहीं और नहीं रह रहे हैं। वे  यहां आपके साथ हैं। भले ही उनके शरीर ने उन्हें त्याग दिया है। आपके पूर्वज आपकी आत्मा का हिस्सा हैं बेशक, बेहतर रूप से इसे करने के लिए एक पडिंत की आवश्यकता है। पर मैं चाहता हूं कि आप कम से कम घर पर ऐसा करें। घर पर ज्यादा खर्च नहीं होने वाला है। आपको बस यह घास खरीदनी होगी। और थोड़ी सी घास लंबे समय तक पर्याप्त होगी। आपके साथ एक नहीं कई चमत्कार होंगे। 

यदि आप बौद्धिक मनोरंजन चाहते हैं, तो मैं ‘क्वांटम फिजिक्स’ या चक्रों – रूट चक्र, नाभि चक्र और अन्य बौद्धिक चीजों के बारे में बात कर सकता हूं। यह सब सिर्फ मनोरंजन है क्योंकि मस्तिष्क को ज्ञान पसदं है और मस्तिष्क समय काटना चाहता है। आप बौद्धिक मनोरंजन के लिए बड़ी बड़ी किताबें पढ़ सकते हैं। मैं कभी भी ऐसे मनोरंजन को नहीं समझ पाया। उससे उत्कृष्ट है इस प्रक्रिया को करने की क्रिया।



“देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया। तर्पण का अर्थ अपने देवों, परिवार, वंश परंपरा, संस्कृति और इष्ट के प्रति श्रद्धा रखना है।”        – पुराण कथन


आपके पूर्वज सदा आपके सहायी रहें, यही मेरी कामना है।

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