पैसे आकर्षित करने का आसान तरीका
दिव्य शक्तियां कभी गलत नहीं होने देती पर इस संसार में जो चीजें गलत होती हैं, उनका कारण संसार में दिव्य शक्तियों का अभाव है । मनुष्य में दिव्यता का क्षरण है।
राजा विश्वमित्र जिनके द्वारा ब्रझी की ध्वनि को प्रकट किया गया, ऐसा नहीं है कि ब्रझी की ध्वनि का आविष्कार इनके द्वारा हुआ, यह ध्वनि पहले से ही अस्तित्व में थी, उन्होंने इस ध्वनि के प्रभाव को महसूस किया, और फिर एस ध्वनि से मनुष्यों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से कहा कि ‘ब्रझी’ यह ध्वनि धन संपत्ति की पूर्वगामी है। यह सबका जीवन आर्थिक सुखों से परिपूर्ण कर देगी। ९० के दशक से मैं इस ज्ञान को दोहरा रहा हूं और इस दोहराने की प्रक्रिया के दौरान मैंने जो चाहा मुझे मिला।
इसलिए आप सभी को मैं यह ध्वनि रूपी मंत्र आशीर्वाद के रूप में देना चाहूंगा।
इससे आप समृद्धशाली होंगे
अब जैसे ही आपके आर्थिक स्तर में सुधार होगा तो आपकी जीवन शैली बदल जायेगी और जीवन शैली में सकारात्मक परिवर्तन के साथ बुरी आदतों का बढ़ जाना भी सम्भव है। आपकी इंद्रिया आपके नियंत्रण से बाहर हो जायेंगी, आप मोह माया सांसारिक सुखों के जाल में फंसकर निरर्थक जीवन व्यतीत करेंगे और ईश्वर से भी कोसों दूर हो जाएंगे।
इन्हीं कुछ संभावना के चलते सम्पत्ति को बुरा कहा जा सकता है। परन्तु अगर इसका उपयोग सही तरीके से किया जाए तो धन ईश्वर ही है।
धनवान होकर आप अपने साथ साथ अन्य कई लोगों के जीवन में समृद्धता ला सकते हैं। अगर धन का दुरुपयोग करेंगे तो फर्स्टक्लास फ्लाइट में बैठकर अथाह सम्पदा के मालिक होकर भी स्वयं को असमंजस में ही पायेंगे।
अब ‘ब्रझी’ एक ऐसा मंत्र है, जिसकी ध्वनि के उच्चारण से ही आपको वो मिलेगा जो आप चाहते हैं। क्योंकि ध्वनि या नाद एक ऐसी ऊर्जा है जो सृजन का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
सम्पूर्ण सृष्टि नाद से ही सृजित है
नाद ही चेतना का आधार है। चेतना से ही तत्वों की उत्पत्ति हुई है। अब बस ध्वनि पर ध्यान केन्द्रित करें और दोहराएं। – ब्रझी! ब्रझी! ब्रझी!
ब्रझी के साथ प्रयोग करेंगे, उन देवी के बीच मंत्र का जो संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं, मां लक्ष्मी और उनका बीज मंत्र है श्रीम (श्रीं)
अब जप करने का मंत्र होगा – श्रीम ब्रझी! बस ध्यान करें. जब करें, मनन करें। आप जैसा सोचेंगे, वही रचेंगे, वहीं पाएंगे। तो आइए दोहराइए अपने जीवन में समृद्धि और संपदा का स्वागत करें – श्रीम ब्रझी! श्रीम ब्रझी! श्रीम ब्रझी! श्रीम ब्रझी! श्रीम ब्रझी! श्रीम ब्रझी!
अंतिम लक्ष्य और ईश्वर के मस्तिष्क का मार्ग
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स्वर्ग में असीमित प्रणालियाँ हैं; इसे गिना नहीं जा सकता है, और वे सभी एक बहुत ही अलग समय अवधि का पालन करते हैं। मूल रूप से, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कोई समय नहीं है। हम उसे हममें विकसित कर सकते हैं।
अपना ईश्वरीय मस्तिष्क कैसे विकसित करें?
Read Time: 3 Min बाइबिल में एक कहावत है, “ईश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया।” मैं उस कहावत में यह जोड़ना चाहूंगा कि भगवान ने मनुष्य मस्तिष्क को अपने मस्तिष्क के बाद बनाया। यह शाब्दिक रूप से सही है। शायद यह भौतिक मस्तिष्क न हो, बल्कि एक पारलौकिक मस्तिष्क हो, क्योंकि भगवान का कोई भौतिक रूप नहीं है। वह एक भौतिक रूप अधिग्रहण कर सकते हैं और सूक्ष्म रूप में या प्रकाश के रूप में रह सकते हैं। वह जो चाहे कर सकते हैं।
अपनी मनोकामना पूरी करने का आसान तरीका
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धन की देवी लक्ष्मी सदा मुस्कुराती रहती है। वह ऐसी किसी भी चीज को स्वीकार करने से इनकार कर देती है जिसमे खुशी नहीं है। वह हर चीज में सर्वश्रेष्ठ चाहती है। वह सर्वश्रेष्ठता का अवतार है।