प्रबुद्ध गुरु
गूढ़ दक्षिण भारतीय परंपरा के एक प्रबुद्ध गुरु (एनलायटंड सिद्धा मास्टर) डॉ भास्करन पिल्लई दुनिया भर के छह महाद्वीपों के 40 से अधिक देशों में आमंत्रित वक्ता रह चुके हैं। डॉ पिल्लई विश्व धर्मों के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन [1998] और विश्व ज्ञान मंच [2008] के लिए एक वक्ता रह चुके हैं, और उन्होंने धर्म और विज्ञान पर अनेक मंचों की मेजबानी की है।
वह मानव विकास के हेतु से पश्चिमी विज्ञान और पूर्वी अध्यात्म का प्रामाणिक रूप से समन्वय करने वाले दुनिया के सबसे विपुल शिक्षकों में से एक हैं। यूट्यूब, फ़ेसबुक, वर्चुअल लर्निंग वेब साइट्स और इन-पर्सन वर्कशॉप और रिट्रीट सहित कई प्लेटफार्मों पर डॉ पिल्लई की शिक्षाओं और कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप लाखों लोगों ने अपने जीवन में अतुल्य सुधार का अनुभव किया है।
उन्होंने इंडिया हेरिटेज फाउंडेशन के लिए हिंदू धर्म के विश्वकोश के संपादक के रूप में भी काम किया है। एक अत्यधिक निपुण ज्योतिषी होने के नाते, वह समय के विज्ञान को गहराई से समझते है और उजागर करते हैं।
उनकी स्वयं की शैक्षणिक पृष्ठभूमि में मदुरई विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य और तुलनात्मक साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री (1974), मास्टर ऑफ लेटर्स (1982) की दूसरी डिग्री, इसके बाद पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से धार्मिक अध्ययन में पीएचडी (1983-1989) शामिल हैं। जहां वे शुरू में धार्मिक अध्ययन विभाग (1985-1989) और बाद में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विभाग (1989) के लिए एशियाई अध्ययन कार्यक्रम के समन्वयक थे।
यद्यपि धर्म में लिप्त स्वयं वह एक प्रबुद्ध गुरु हैं पर डॉ पिल्लई धर्म की वैज्ञानिक जाँच के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह आइंस्टीन के दृष्टिकोण में दृढ़ विश्वास रखते है: धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है, विज्ञान के बिना धर्म अंधा है। वह धर्म और अध्यात्म को संकुचितता से नहीं, बल्कि एक निष्पक्ष विज्ञान की तरह स्वयं आत्मसात कर चुके हैं और साधकों को भी उसी निष्पक्ष तरीके से आत्मसात करवाते हैं।
अगस्त्य, विश्वामित्र, बोगार, नंदी, शिव सूक्ष्मम और शिव वाक्य पद्धति के प्राचीन व पवित्र ताड़पत्रों पर लिखे गए अभिलेख (नाड़ी एस्ट्रोलॉजी) द्वारा डॉ भास्करन पिल्लई के कई पूर्व जन्मों की जानकारी उजागर हुई तथा उनके इस भव का उद्देश्य प्रकट हुआ। इसके अनुसार वे अपने पूर्व जन्मों में भीष्म, अगस्त्य, भृगु, मणिकवचकर एवं स्वामी रामलिंगम के स्वरूप में आ चुके हैं। और इन्ही ताड़पत्रों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय एवं भगवान शिव की विशिष्ट ऊर्जा पृथ्वी तल पर उनके माध्यम से इस वक़्त अवतरित हुई है। इसलिए उन्हें दत्तात्रेय शिव बाबा के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। दत्तात्रेय शिव बाबा (डॉ भास्करन पिल्लई) धर्म एवं विज्ञान दोनों के समर्थक और दोनों में पारंगत ऐसे विशिष्ट अवतार-पुरुष हैं।
अन्वेषक
डॉ भास्करन पिल्लई एक कुशल शोधकर्ता हैं, जो मानवीय मस्तिष्क से जुडी शैक्षणिक विधियों में नए रास्ते प्रशस्त करते हैं जिससे वह वयस्कों एवं बच्चों के जीवन में अतुल्य सुधार लाते हैं।
उन्होंने प्रोप्राइटरी फोनेमिक इंटेलिजेंस (पीआई) तकनीक की उत्पत्ति की है – एक ब्रेन-बेस्ड आधुनिक विधि – जो बच्चों और वयस्कों को अपनी उच्चतम बुद्धिमत्ता एवं आतंरिक प्रज्ञा तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (fMRI स्टडीज), ब्रेन साइंस इंटरनेशनल इन सैन फ्रांसिस्को (ईईजी ब्रेनवेव स्टडीज), एसआरएम यूनिवर्सिटी चेन्नई (कोर्टिसोल रिडक्शन स्टडी) और शिकागो पब्लिक स्कूल सिस्टम (साइकोमेट्रिक स्टडीज) में इस अनूठी तकनीक पर शोध की गई है।
डॉ पिल्लई सिद्धा मेडिसिन (एक उन्नत दक्षिण भारतीय चिकित्सा परंपरा) के भी विद्वान् हैं। उन्होंने 1990 में नई खोजों के लिए समर्पित पहले सिद्धा मेडिसिन सम्मेलन की मेजबानी की। उन्होंने जड़ी-बूटियों के विज्ञान को उसकी सम्पूर्णता में आगे बढ़ाया है और इन हर्ब्स की गुणवत्ता बढ़ाने से सम्बंधित सर्वोत्तम प्रथाओं के क्षेत्र में नियमित स्तर पर पश्चिमी शिक्षण संस्थानों और भारतीय उत्पादकों के बीच वह
सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। इस समय डॉ भास्करन पिल्लई कैंसर की महामारी को समाप्त करने हेतु वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तत्वों के समन्वय पर निर्मित एक अप्रतिम औषधि के विकास में कार्यरत हैं।
अन्वेषक
डॉ भास्करन पिल्लई एक कुशल शोधकर्ता हैं, जो मानवीय मस्तिष्क से जुडी शैक्षणिक विधियों में नए रास्ते प्रशस्त करते हैं जिससे वह वयस्कों एवं बच्चों के जीवन में अतुल्य सुधार लाते हैं।
उन्होंने प्रोप्राइटरी फोनेमिक इंटेलिजेंस (पीआई) तकनीक की उत्पत्ति की है – एक ब्रेन-बेस्ड आधुनिक विधि – जो बच्चों और वयस्कों को अपनी उच्चतम बुद्धिमत्ता एवं आतंरिक प्रज्ञा तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (fMRI स्टडीज), ब्रेन साइंस इंटरनेशनल इन सैन फ्रांसिस्को (ईईजी ब्रेनवेव स्टडीज), एसआरएम यूनिवर्सिटी चेन्नई (कोर्टिसोल रिडक्शन स्टडी) और शिकागो पब्लिक स्कूल सिस्टम (साइकोमेट्रिक स्टडीज) में इस अनूठी तकनीक पर शोध की गई है।
डॉ पिल्लई सिद्धा मेडिसिन (एक उन्नत दक्षिण भारतीय चिकित्सा परंपरा) के भी विद्वान् हैं। उन्होंने 1990 में नई खोजों के लिए समर्पित पहले सिद्धा मेडिसिन सम्मेलन की मेजबानी की। उन्होंने जड़ी-बूटियों के विज्ञान को उसकी सम्पूर्णता में आगे बढ़ाया है और इन हर्ब्स की गुणवत्ता बढ़ाने से
सम्बंधित सर्वोत्तम प्रथाओं के क्षेत्र में नियमित स्तर पर पश्चिमी शिक्षण संस्थानों और भारतीय उत्पादकों के बीच वह सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। इस समय डॉ भास्करन पिल्लई कैंसर की महामारी को समाप्त करने हेतु वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तत्वों के समन्वय पर निर्मित एक अप्रतिम औषधि के विकास में कार्यरत हैं।
जगत्सेवक
डॉ भास्करन पिल्लई मानवजाति की पीड़ा दूर करने हेतु संस्थापित अनेक सेवा प्रोजेक्ट्स के प्रणेता हैं। विश्व स्तर पर हजारों जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करके उन्हें सक्षम करते हैं। उनकी अनूठी शैक्षणिक प्रणाली इन वंचित बच्चों को सशक्त कर उन्हें अपने अपने स्थानीय समुदायों के ‘कम्युनिटी लीडर्स’ के रूप में परिवर्तित कर देती है। उन्होंने गरीब बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों को बुनियादी पोषण प्रदान करने के लिए वैश्विक ‘मिलियन मील ऑफ होप’ कार्यक्रम भी कार्यान्वित किया है।
इकोनोमिक एंड सोसियल कौंसिल (ECOSOC) के साथ संलग्न उनका NGO – त्रिपुरा फाउंडेशन भारत, मेक्सिको और अमेरिका में कार्यरत है। गरीबी से जुड़ी लाचारी और भूखमरी को समाप्त करने के उद्देश्य से करीब ३० वर्षों से यह NGO अपने प्रयासों में पूर्णतया कर्त्तव्यनिष्ठ है। गरीब परिवार के बच्चे को हर प्रकार से सशक्त कर परिवार की और गाँव की समस्याओं को जड़ से मिटाने के सेवा-यज्ञ में त्रिपुरा फाउंडेशन ने अप्रतिम सफलता प्राप्त की है।